शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2021

रिस्पर-कस 9 (CRISPR-Cas 9) तकनीक - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकी लेख

 रिस्पर-कस 9 (CRISPR-Cas 9) तकनीक - यूपीएससी, आईएएस, सिविल सेवा और राज्य पीसीएस परीक्षाओं के लिए समसामयिकी लेख

संदर्भ: -


●रसायन विज्ञान में साल 2020 के लिए नोबेल पुरस्कार घोषित किया जा चुका है । इस साल का पुरस्कार इम्मैन्युअल शार्पेंची (Emmanuelle Charpentier) और जेनफिर डाउडना (Jennifer A. Doudna) को जीनोम एडिटिंग की CRISPR-Cas 9 तकनीक के लिए दिया गया है।


क्या है जीनोम एडिटिंग?


●जीनोम एडिटिंग (जिसे जीन एडिटिंग भी कहा जाता है) प्रौद्योगिकियों का एक समुच्चय है जो वैज्ञानिकों को एक जीव के डीएनए को बदलने की क्षमता देता है। ये प्रौद्योगिकियां जीनोम में विशेष स्थानों पर आनुवंशिक सामग्री को जोड़ने, हटाने या बदलने की में सहायक होती हैं । जीनोम एडिटिंग के कई दृष्टिकोण विकसित किए गए हैं जिसकी हालिया तकनीकी CRISPR-Cas 9 है।


क्या है CRISPR-Cas 9


●यह जीनोम एडिटिंग की एक पद्धति है जिसमे अनुवांशिक जीनो को जोड़ा ,हटाया या बदला जा सकता है। इस प्रणाली में मुख्यतः दो अणु सम्मिलित होते हैं जो डीएनए में परिवर्तन के कारक होते हैं।


●इस पद्धति में प्रयुक्त Cas 9 एक एंजाइम है तथा यह आणविक कैंची की तरह कार्य करता है तथा यह जीनोम में डीएनए के स्ट्रैंड को एक विशिष्ट स्थान से काट देता है जिससे अभीष्ट डीएनए को परिवर्तित किया जा सके।


●Cas 9 के साथ इस तकनीक में गाइड आरएनए का कार्य भी महत्वपूर्ण होता है। यह आरएनए अनुक्रम का एक भाग है जिसका कार्य डीएनए के विशिष्ट अनुक्रम को ढूंढ़कर उसके साथ बांधना होता है। गाइड आरएनए में आरएनए बेस होता है जो जीनोम में टार्गेटेड डीएनए अनुक्रम का पूरक होता है।


●यह अनुवांशिक रोगों तथा कैंसर ,हेपेटाइटिस बी,एचआईवी जैसे रोगों के निदान में सहायक होगा। वैज्ञानिक अभी भी यह निर्धारित करने के लिए काम कर रहे हैं इसका प्रयोग जन सामान्य हेतु कैसा होगा ।


●यह सिस्ट फाइब्रोसिस, हीमोफिलिया, और सिकल सेल रोग जैसे एकल-जीन विकारों सहित कई प्रकार के रोगों के निदान में भी यह पद्धति सहायक होगी।


●इस तकनीकी के साथ कुछ नैतिक चिंताएं भी जुडी हैं। वर्ष 2018 में ही सीआरआइएसपीआर के बारे में अधिकांश लोग जान गए थे, जब चीनी विज्ञानी डॉ. ही जियानकुई ने दुनिया को बताया था कि उन्होंने दुनिया के पहले जीन-एडिटेड शिशुओं को बनाने में मदद की थी। हालांकि उनके काम को मानव सभ्यता के लिए उपयुक्त नहीं माना गया। क्योंकि इस तकनीक से डिज़ाइनर बच्चो का जन्म हो सकता है।


●सीआरआइएसपीआर तकनीक पर पेटेंट को लेकर हार्वर्ड स्थित ब्राड इंस्टीट्यूट और एमआइटी लंबी अदालती लड़ाई में उलझे हैं। इस पर कई अन्य विज्ञानियों ने भी काम किया है, लेकिन दोनों महिला विज्ञानियों को इसे आसानी से प्रयोग होने वाले उपकरणों में बदलने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।


नोबल पुरस्कार


●नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में वर्ष 1901 में शुरू किया गया यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है। इस पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति-पत्र के साथ 10 लाख डालर की राशि प्रदान की जाती है।


रसायन विज्ञान में नोबल


●इस साल का पुरस्कार इम्मैन्युअल शार्पेंची (Emmanuelle Charpentier) और जेनफिर डाउडना (Jennifer A. Doudna) को जीनोम एडिटिंग की CRISPR-Cas 9 तकनीक के लिए दिया गया है। इससे पहले अब तक पांच महिलाओं को केमिस्ट्री के लिए नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। मैरी क्यूरी एकमात्र ऐसी महिला हैं जिन्हें फिजिक्स और केमिस्ट्री दोनों के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है।ऐसा पहली बार है कि जब मात्र महिला समूह को रसायन विज्ञान का नोबल पुरस्कार मिला है।


निष्कर्ष


●यह जैव प्रद्योगिकी तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी सफलता है। इसके साथ ही इस नोबल पुरस्कार से महिलाऐं विज्ञान तथा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए इच्छुक होंगी। परन्तु इस तकनीक के साथ जुडी नैतिक समस्याएं इस तकनीक के सीमित प्रयोग को बताती हैं। अतः इस तकनीकी के प्रयोगकर्ताओ को यह समझना होगा कि इस प्रकार की तकनीकों का प्रयोग मानव कल्याण के लिए होना आवश्यक है।

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