यपीएससी आईएएस और यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन अभ्यास कार्यक्रम (Answer Writing Practice for UPSC IAS & UPPSC/UPPCS Mains Exam)
मख्य परीक्षा पाठ्यक्रम:
पेपर - IV: सामान्य अध्ययन- III: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन
प्रश्न- भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, अधिकांश मेट्रोपोलिस शहरों में असुरक्षित पेयजल उपलब्ध है। अधिकांश मेट्रोपोलिटन शहरों में असुरक्षित पेयजल का संकट क्यों विद्यमान है? विश्लेषण कीजिए। इसके साथ ही, भारत में असुरक्षित पेयजल की समस्या से निपटने के उपाय भी बताएं। (250 शब्द)
मॉडल उत्तर:
◆चर्चा में क्यों हैं?
◆परिचय
◆अधिकांश बड़े शहरों में असुरक्षित पेयजल के कारण
◆असुरक्षित पेयजल की समस्या के समाधान उपाय
◆निष्कर्ष
चर्चा में क्यों हैं?
हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा दिल्ली कोलकाता चेन्नई जैसे शहरों में पीने के पानी के नमूने लिए गये, जिनमें 11 में से 10 नमूने निर्धारित मानकों पर विफल रहे हैं। इसके साथ ही केवल मुम्बई महानगर में जो जल का नमूना एकत्र किया गया, वह निर्धारित मानकों के अनुसार सुरक्षित पाया गया है।
परिचय
● पेयजल वह जल है, जिसका उपभोग मानव द्वारा पीने या खाना पकाने के उद्देश्य से किया जाता है। इसमें उपचारित और अनुपचारित दोनों तरह के जल सम्मिलित होते हैं, जिनकी मानव उपभोग के लिए आपूर्ति की जाती है।
● बीआईएस ने विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों की प्रकृति और प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए तथा पेयजल मानकों में उनकी मात्र की पहचान करने के लिए नवीन तकनीकों का भी विकास किया है। इस मानक का उद्देश्यजल संसाधनों की गुणवत्ता का आकलन करना तथासंबंधित अधिकारियों द्वारा जल उपचार और आपूर्ति की प्रभावशीलता की जांच करनाहै।
अधिकांश बड़े शहरों में असुरक्षित पेयजल के कारण
पहली बार, उपभोग और अन्य उद्देश्यों के लिए घरों में आपूर्ति किए जाने वाले पीने के पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए इस तरह के परीक्षण का आयोजन किया गया है। अधिकांश बड़े शहरो में असुरक्षित पेयजल के कारण निम्नलिखित हैं:-
● अधिकांश शहरों में पानी की गुणवत्ता, सामान्य से खराब है। जिसका प्रमुख कारक प्रदूषण का बढ़ता स्तर तथा पर्यावरणीय कारणों को भीमाना जा रहा है।
● अधिकांश राज्यों में आपूर्ति के लिए भूजल तथा सतही जल का मिश्रण किया जाता है। भूजल की गुणवत्ता अधिकांश राज्यों में निर्धारित मानकों से नीचे पाई गई है। इससे राज्यों के समग्र जल की गुणवत्ता में कमी आई है।
● अधिकांश स्थानों में जल की गुणवत्ता को जांचने के उपकरणों का अभाव है।
● आपूर्ति में उपयोग आने वाले पाइप रख रखाव के अभाव में लीक हो जाते हैं जिससे न सिर्फ जल की बर्बादी होती है बल्कि प्रदूषक तत्वों का जल में प्रवेश भी होने लगता है।
● औद्योगिक तथा मानवीय अपशिष्ट खुले में प्रवाहित होतेहैं जिससे जल में प्रदूषण की समस्या में वृद्धि होती है।
● उपरोक्त के आधार पर जनप्रतिनिधियों द्वारा सवाल उठाया गया है कि जल के नमूने किस प्रकार एकत्र किए जा रहे हैं तथा उनका परीक्षण किस प्रकार से किया जा रहा है। उदाहरण के लिए दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के पेयजल की गुणवत्ता को निर्धारित मानकों पर मानाऔर परीक्षण ऐजेंसियों द्वारा किए गए परीक्षण पर सवाल उठाया गया।
असुरक्षित पेयजल की समस्या के समाधान के उपाय
● मुम्बई में, पेयजल की जो आपूर्ति की जाती है, वह मुख्यतः वर्षा पर आधारित होती है जिससे यह अन्य स्रोतों के जल से मिश्रित नहीं हो पाता है। इसलिए भारत के अन्य शहरों की तुलना में मुम्बई में पेयजल की गुणवत्ता बेहतर है।
● दैनिक आधार पर पेयजल की गुणवत्ता जांचनें के लिए इस प्रकार के परीक्षण किए जाने चाहिए।
● पानी की गुणवत्ता के विषय में डेटा नियमित रूप से प्रकाशित किया जाना चाहिए तथा पानी की आपूर्ति के विषय में जवाब देही तय की जानी चाहिए।
● पानी एक राज्य का विषय है इसलिए नगरपालिकाओं को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। नगर पालिकाओं को घरों में जल की आपूर्ति करते समय बी आई एस मानकों को ध्यान रखना चाहिए।
● उपचार संयंत्र को उन्नत किया जाना चाहिए और उनकी नियमित निगरानी की जानी चाहिए।
● विभिन्न घरों में आपूर्ति के लिए पानी का उपचार करते समय स्वच्छता बनाये रखना चाहिए।
निष्कर्ष-
दूषित पदार्थों को समाप्त करने के लिए जल को मुख्यतः क्लोरीन युक्त किया जाता है परन्तु विलेय पदार्थो को हटाने के लिए क्लोरीनीकरण पर्याप्त नहीं है। भारत में आयन एक्सचेंज जैसी नवीन तकनीकों को लागू किया जाना चाहिए, जिससे हम छठे सतत विकास लक्ष्य (SDG-6) को प्राप्त करने में सक्षम हों सकें।